ज़िन्दगी एक पहेली
कभी धूप कभी छांव
कहीं शहर कहीं गांव
कहीं बहुतायत कहीं अभाव
कहीं सूखा रेत कहीं जल बहाव
कहीं पुल कहीं नाव
जी चाहे तैरकर जाव
सुख दुःख दोनो की सहेली
ज़िन्दगी एक अबूझ पहेली
कभी ख़ुशी में होती आंखें नम
कभी ज़ाहिर न कर पाए ग़म
कहीं इंतजार में खड़े हैं हम
कहीं मस्गूल हुए है मेरे सनम
अब लड़खड़ा गये थके क़दम
सहने का अब न रहा दम
हर पल करे मुझसे अठखेली
ज़िन्दगी एक अबूझ पहेली
Babita patel
18-Jan-2023 03:25 PM
nice
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Renu
18-Jan-2023 10:27 AM
👍👍🌺
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Punam verma
17-Jan-2023 08:44 AM
Very nice
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अनीस राही
17-Jan-2023 01:10 PM
Thanks
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